भारत में ब्रिटिश 1600 ई में ईस्ट इंडिया कंपनी के रूप में, व्यापार करने आए। महारानी एलिजाबेथ प्रथम के चार्टर द्वारा उन्हें भारत में व्यापार करने के विस्तृत अधिकार प्राप्त थे। परन्तु कंपनी की बढती हुई प्रतिष्ठा और धन तथा कंपनी द्वारा दिये जाने वाले टैक्स में निरन्तर कमी होने के कारण ब्रिटिश शासन का ध्यान भारत की ओर अधिक केन्द्रित होने लगा और इसलिए अब ब्रिटिश सरकार ने भारत पर सिधे शासन करने का मन बनाया। जिसके लिए कंपनी को हटाना जरूरी था। जिस पर सरकार ने कंपनी पर सिकंजा कसने और भारत का शासन अपने हाथ में लेने के लिए एक्ट/ अधिनियम की एक श्रृंखला चलायी। जिसमें सबसे पहला एक्ट था रेगुलेटिंग एक्ट 1773 .
Regulating Act 1773
इस अधिनियम का अत्यधिक संवैधानिक महत्व था, जो निम्न प्रकार है-
- भारत में ईस्ट इंडिया कपंनी के कार्यों को नियमित और नियंत्रित करने की दिशा में ब्रिटिश सरकार द्वारा उठाया गया यह पहला कदम था।
- इसके द्वारा पहली बार कंपनी के प्रशासनिक और राजनीतिक कार्यों को मान्यता मिली।
- इसके द्वारा भारत में केंद्रिय प्रशासन की नींव रखी गयी।
- इसके द्वारा बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर जनरल बना दिया गया, और उसकी सहायता के लिए एक चार सदस्यीय कार्यकारी परिषद का गठन किया गया। ऐसे पहले गवर्नर लॉर्ड वॉरेन हेस्टिंग्स थे।
- इसके द्वारा मद्रास एवं बंबई(मुम्बई) के गवर्नर, बंगाल के गवर्नर के अधीन हो गये।
- इस अधिनियम के अन्तर्गत कलकत्ता में 1774 में एक उच्चतम न्यायालय की स्थापना की गई, जिसमें मुख्य न्यायाधीश(एलिजा एंपे) और तीन अन्य न्यायाधीश थे।
- इस एक्ट के द्वारा कंपनी के कर्मचारियों को निजी व्यापार करने और भारतीय लोगों से उपहार व रिश्वत लेना प्रतिबंधित कर दिया गया।
- इसी रेगुलेटिंग एक्ट 1773 के द्वारा ब्रिटिश सरकार का कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स(कंपनी की गवर्निग बॉडी) के माध्यम से कंपनी पर नियत्रण सशक्त हो गया। और इसने भारत में कंपनी के राजस्व, नागरिक और सैन्य मामलों की जानकारी ब्रिटिश सरकार को देना आवश्यक कर दिया। (अच्छा लगा तो सेयर करे)
Very good knowledge sir
जवाब देंहटाएं